पिछले चार सालों में चार देशों में हुए तख्ता पलट सीरिया पांचवां देश …

आखिर क्या होता तख्तापलट? क्यों होती है सरकार के खिलाफ बगावत? सीरिया के तख्तापलट का भारत पर क्या असर? प्रसिद्ध चीनी विचारक माओ-त्से तुंग कहते हैं “क्रांति खानें की दावत या निबंध लिखनें जैसी नहीं है।यह सैकड़ों वर्षों के विद्रोह एवं दमन का परिणाम होता है।” यह वाक्य सीरिया के हालातों पर फिट बैठता है।

14 साल से गृह युद्ध झेल रहे सीरिया में विद्रोह की आग भड़की और विद्रोहियों नें रविवार, 8 दिसंबर की सुबह राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर राष्ट्रपति बशर अल असद के परिवार का 53 साल पुराना शासन खत्म कर दिया। विद्रोही गुट ‘तहरीर अल शाम’ के लडाको के दमिश्क पहुचनें से पहले ही असद ने देश छोड़कर परिवार सहित रूस में शरण ले ली।
प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी जलानी और सीरियाई सेना नें सरेंडर कर दिया।

विद्रोहियों ने राष्ट्रपति भवन में लूटपाट की। बशर की लग्जरी गाडियां और कीमती सामान ले गए। दरअसल साल 2011 में “अरब क्रांति “हुई तो सीरिया में भी विद्रोह हुआ जिसे असद खत्म करनें में कामयाब रहे। साल 2020 में विद्रोहियों के साथ सीजफायर हुआ जिसमे 5 लाख लोग मारे गए। 1 दिसम्बर को सबसे बड़े शहर ओलप्पो पर कब्जा करने के बाद विद्रोही अब तक दमिश्क समेत 5 शहरों पर कब्जा कर चुके है। पिछले 4 सालों में इन 4 देशों में हुए तख्तापलट…

म्यांमार: 1 फरवरी 2021 की सुबह सत्तारूढ नेशनल लीग फाॅर डेमोक्रेसी के सदस्यों को सेना से बेदखल कर दिया, राष्ट्रपति नें एमरजेंसी घोषित कर सत्ता सेना को सौंप दी,तब से वहाँ सैन्य शासन बरकरार है।

अफगानिस्तान: अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर हमला किया सेना नें हार मान ली। राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़ दिए ,और 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया।

श्रीलंका: 8 जुलाई 2022 श्रीलंका की आर्थिक स्थिति दिवालियापन के कगार पर पहुंच गई ,इससे नाराज जनता नें राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आवास पर हल्ला बोल दिया, जमकर लूटपाट की। राष्ट्रपति को देश छोड़ना पड़ा।

बांग्लादेश: 5 अगस्त 2024 का दिन बांग्लादेश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए चुनौती लेकर आया। चुनी हुई सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा, खूब हिंसा हुई, प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में शरण लेनी पड़ी।

आखिर क्या होता है तख्तापलट?

यह एक ऐसी स्थिति होती है जब मिलिट्री ,पैरामिलिट्री या फिर विपक्षी पार्टी किसी देश में चुनाव कराए बिना बलपूर्वक जनता द्वारा चुनी गई सरकार को सत्ता से बेदखल कर खुद सत्ता पर काबिज हो जाए। इसे अंग्रेजी में Coup कहते है,जब किसी देश की सेना तख्तापलट करती है तो इसे सैन्य तख्तापलट कहते है। अक्सर जनविद्रोह या गृहयुद्ध के हालात भी तख्तापलट के प्रमुख कारण बनते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण अमेरिकी देश बोलिविया दुनिया मे सबसे ज्यादा तख्तापलट देखने वाला देश है। यहां वर्ष 1950 से लेकर 2019 तक 23 बार तख्तापलट या उसकी कोशिशे हुई है। दुनिया के विभिन्न देशों में 1950 से 1989 यानी 39 सालो में 350 तख्तापलट हुए। भारत के पडोसी देश पाकिस्तान में 4 बार तख्तापलट हो चुका है, पहली बार 1953-1954, 1958, 1977 और 1999 में। और अब एक अहम सवाल कि सीरिया में हुए तख्तापलट का भारत पर क्या असर?

भारत और सीरिया के सम्बन्ध की शुरुआत भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी के कार्यकाल से हो गई थी ।वह 2 बार सीरिया गए। साल 2003 में अटल बिहारी बाजपेयी नें भी सीरिया का दौरा किया ।फिर सीरिया के राष्ट्रपति भारत आए। साल 2022 में सीरिया के विदेश मंत्री भारत आए। तब उन्होंनें कहा था कि” दमिश्क से दिल्ली आनें में 4 घंटे लगते है।”

हालांकि ताजा हालात पर भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि एक पावर और एक स्टील प्लांट बनानें में भारत सीरिया की मदद कर रहा हैभारत ने स्पष्ट तौर पर कहा कि भारत दमिश्क में दूतावास बंद नहीं करेगा। वहां इस वक्त 90 भारतीय है जो सुरक्षित हालत में है।

Posted by Chandani